महज 19 वर्ष की उम्र में 83 साल पुराने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में
इकोनॉमिक ऑनर्स के द्वितीय वर्ष की छात्रा मिहिका शर्मा विकास के पैमाने को
लेकर बेहद जुनूनी तेवर से अपनी बात रखती है. वह कॉमर्स कॉलेज के स्नातकों
की “एमबीए टाइप्य होने की छवि को भी तोड़ती है. वह कहती है कि एसआरसीसी को
उसकी शैक्षणेतर गतिविधियों की वजह से चुना. वह एसआरसीसी में इनेक्टस चैप्टर
की प्रेसिडेंट हैं. जो दरअसल दुनियाभर के छात्रों, शिक्षाविदों, व
व्यावसायिक नेताओं का एक वैश्विक गैर-मुनाफा मंच है.
मिहिका ने गाजियाबाद के निकट एक गांव में मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लिए काम किया है और इस समय एक नए प्रोजेक्ट की बारीकियां तय करने में लगी है जिसका मकसद डेयरी सेक्टर में और कुशलता लाना है. उत्साही मिहिका कहती है, “हमने इस साल 'सतवा' शुरू किया है जिसके तहत हम करनाल में उद्यमी ग्रामीण महिलाओं की पहचान करते हैं. उन महिलाओं को अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण दिया जाएगा. हम उन्हें दूध के प्रसंस्करण का भी प्रशिक्षण देंगे.” मिहिका ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अपना अध्ययन करना चाहती हैं.
मिहिका छात्रों की उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती है जो पहले की तुलना में इस बात को लेकर कहीं ज्यादा जागरूक हैं कि उन्हें शिक्षा से क्या चाहिए. ई-स्क्वायर्ड की संस्थापक गुंजन अग्रवाल कहती हैं, “अब बात यह नहीं है कि मुझे किस कॉलेज में दाखिला मिलेगा बल्कि खोज उस कॉलेज की है जो मेरी उम्मीदों पर खरा उतरता है.” उनकी कंपनी डिजिटल पहुंच की पहल के बारे में विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम करती है और छात्रों को करियर विकल्पों पर सलाह देती है. वे कहती हैं, “विश्वविद्यालय और कॉलेज अब सक्रिय रूप से विदेशी छात्रों तक भी पहुंच बना रहे हैं. सर्वश्रेष्ठ फैकल्टी लाने के प्रयास हो रहे हैं. अब उन्हें छात्रों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए लगातार कोशिश करनी होती है. छात्र खुद अपने सवालों की पूरी तैयारी के साथ आते हैं. एसआरसीसी के प्रिसिंपल अशोक सहगल कैंपस में नए फिजियोथेरेपी सेंटर और अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज प्रोग्राम की बात करते हैं जिसमें लंदन का किंग्स कॉलेज कैंपस में ही बहुत कम खर्च पर एक शॉर्ट टर्म कोर्स उपलब्ध कराएगा. वे कहते हैं, “छात्र दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, उसके बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं.” कॉलेज ग्लोबल बिजनेस ऑपरेशंस में एक पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा भी उपलब्ध करा रहा है.
पिछले साल कुल तकरीबन 500 छात्रों में से 300 का प्लेसमेंट औसतन सालाना 7 लाख रु. के वेतन पर हो गया था.
शिक्षाविद् प्रमथ सिन्हा, जो अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक ट्रस्टी और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के संस्थापक डीन भी हैं, कहते हैं, “एसआरसीसी अपनी छवि के कारण सभी कॉर्पोरेट्स के लिए नई भर्ती की तलाशी का प्रमुख अड्डा है. भर्ती करने वाले हमेशा यह नहीं देखते कि आपने क्या कोर्स लिया था, वे होनहार व चमकदार लोगों की तलाश करते हैं. एसआरसीसी स्नातकों के लिए पूरी दुनिया ही उनका सीप है.” वे आगे कहते हैं, “छात्रों को शिक्षेतर गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और सामाजिक क्षेत्र में स्वयंसेवी कार्यों के लिए खुद को पेश करना चाहिए. यह अनुभव आगे बहुत काम आता है.”
सहगल कहते हैं, “एसआरसीसी तमाम मानकों, शिक्षा की गुणवत्ता,
प्लेसमेंट अवसर, छात्रों की देखरेख, ढांचागत सुविधाएं सब में खरा उतरता
है.” लगातार बढ़ती कट-ऑफ सूची के बारे में सहगल कहते हैं, “कट-ऑफ हम नहीं
बल्कि छात्रों का प्रदर्शन तय करता है. हमारे पास 501 सीटें हैं और जब तक
मैं ढांचागत सुविधाएं न बढ़ाऊं, मैं और छात्रों को नहीं ले सकता.”
वित्त मंत्री, अरुण जेटली, बीजेपी नेता सुधांशु मित्तल और विजय गोयल और जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी जैसे इस कॉलेज के पूर्व छात्रों से लबरेज एल्युमिनी नेटवर्क के बूते आपको यकीनन दुनिया के किसी भी कोने में कोई न कोई बैचमेट या अपना सीनियर जरूर मिल जाएगा.
इस कॉलेज की शुरुआत सह-शिक्षा संस्थान के रूप में नहीं हुई थी लेकिन 1933 से इसने धीरे-धीरे छात्राओं को प्रवेश देना शुरू कर दिया. वर्ष 1957 में यह पूरी तरह सह-शिक्षा संस्थान बन गया.
इंडिया टुडे-नीलसन सर्वश्रेष्ठ कॉलेज सर्वेक्षण की 2015 की कॉमर्स रैंकिंग में कई नए कॉलेज भी हैं और कई वापसी करने वाले पुराने नामी-गिरामी भी. मसलन, मुंबई का मीठीबाई कॉलेज 2013 में 26वीं रैंकिंग पर था लेकिन 2014 में यह सूची में जगह ही नहीं बना पाया. लेकिन इस बार उसने नंबर दस पर वापसी की है. क्रिस्टु जयंती कॉलेज, बेंगलूरू पहली बार सूची में है और इसी तरह सेंट विलफ्रेड ग्रुप ऑफ कॉलेज, जयपुर, डीएवी कॉलेज चंडीगढ़, गुरु नानक कॉलेज चेन्नै और सेंट टेरेसा कॉलेज कोच्चि भी हैं. हिंदू कॉलेज और हंसराज कॉलेज की कुल रैंकिंग में भी काफी सुधार हुआ है.
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मिहिका ने गाजियाबाद के निकट एक गांव में मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लिए काम किया है और इस समय एक नए प्रोजेक्ट की बारीकियां तय करने में लगी है जिसका मकसद डेयरी सेक्टर में और कुशलता लाना है. उत्साही मिहिका कहती है, “हमने इस साल 'सतवा' शुरू किया है जिसके तहत हम करनाल में उद्यमी ग्रामीण महिलाओं की पहचान करते हैं. उन महिलाओं को अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण दिया जाएगा. हम उन्हें दूध के प्रसंस्करण का भी प्रशिक्षण देंगे.” मिहिका ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अपना अध्ययन करना चाहती हैं.
मिहिका छात्रों की उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती है जो पहले की तुलना में इस बात को लेकर कहीं ज्यादा जागरूक हैं कि उन्हें शिक्षा से क्या चाहिए. ई-स्क्वायर्ड की संस्थापक गुंजन अग्रवाल कहती हैं, “अब बात यह नहीं है कि मुझे किस कॉलेज में दाखिला मिलेगा बल्कि खोज उस कॉलेज की है जो मेरी उम्मीदों पर खरा उतरता है.” उनकी कंपनी डिजिटल पहुंच की पहल के बारे में विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम करती है और छात्रों को करियर विकल्पों पर सलाह देती है. वे कहती हैं, “विश्वविद्यालय और कॉलेज अब सक्रिय रूप से विदेशी छात्रों तक भी पहुंच बना रहे हैं. सर्वश्रेष्ठ फैकल्टी लाने के प्रयास हो रहे हैं. अब उन्हें छात्रों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए लगातार कोशिश करनी होती है. छात्र खुद अपने सवालों की पूरी तैयारी के साथ आते हैं. एसआरसीसी के प्रिसिंपल अशोक सहगल कैंपस में नए फिजियोथेरेपी सेंटर और अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज प्रोग्राम की बात करते हैं जिसमें लंदन का किंग्स कॉलेज कैंपस में ही बहुत कम खर्च पर एक शॉर्ट टर्म कोर्स उपलब्ध कराएगा. वे कहते हैं, “छात्र दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, उसके बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं.” कॉलेज ग्लोबल बिजनेस ऑपरेशंस में एक पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा भी उपलब्ध करा रहा है.
पिछले साल कुल तकरीबन 500 छात्रों में से 300 का प्लेसमेंट औसतन सालाना 7 लाख रु. के वेतन पर हो गया था.
शिक्षाविद् प्रमथ सिन्हा, जो अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक ट्रस्टी और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के संस्थापक डीन भी हैं, कहते हैं, “एसआरसीसी अपनी छवि के कारण सभी कॉर्पोरेट्स के लिए नई भर्ती की तलाशी का प्रमुख अड्डा है. भर्ती करने वाले हमेशा यह नहीं देखते कि आपने क्या कोर्स लिया था, वे होनहार व चमकदार लोगों की तलाश करते हैं. एसआरसीसी स्नातकों के लिए पूरी दुनिया ही उनका सीप है.” वे आगे कहते हैं, “छात्रों को शिक्षेतर गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और सामाजिक क्षेत्र में स्वयंसेवी कार्यों के लिए खुद को पेश करना चाहिए. यह अनुभव आगे बहुत काम आता है.”
वित्त मंत्री, अरुण जेटली, बीजेपी नेता सुधांशु मित्तल और विजय गोयल और जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी जैसे इस कॉलेज के पूर्व छात्रों से लबरेज एल्युमिनी नेटवर्क के बूते आपको यकीनन दुनिया के किसी भी कोने में कोई न कोई बैचमेट या अपना सीनियर जरूर मिल जाएगा.
इस कॉलेज की शुरुआत सह-शिक्षा संस्थान के रूप में नहीं हुई थी लेकिन 1933 से इसने धीरे-धीरे छात्राओं को प्रवेश देना शुरू कर दिया. वर्ष 1957 में यह पूरी तरह सह-शिक्षा संस्थान बन गया.
इंडिया टुडे-नीलसन सर्वश्रेष्ठ कॉलेज सर्वेक्षण की 2015 की कॉमर्स रैंकिंग में कई नए कॉलेज भी हैं और कई वापसी करने वाले पुराने नामी-गिरामी भी. मसलन, मुंबई का मीठीबाई कॉलेज 2013 में 26वीं रैंकिंग पर था लेकिन 2014 में यह सूची में जगह ही नहीं बना पाया. लेकिन इस बार उसने नंबर दस पर वापसी की है. क्रिस्टु जयंती कॉलेज, बेंगलूरू पहली बार सूची में है और इसी तरह सेंट विलफ्रेड ग्रुप ऑफ कॉलेज, जयपुर, डीएवी कॉलेज चंडीगढ़, गुरु नानक कॉलेज चेन्नै और सेंट टेरेसा कॉलेज कोच्चि भी हैं. हिंदू कॉलेज और हंसराज कॉलेज की कुल रैंकिंग में भी काफी सुधार हुआ है.
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